पिछले 40 सालों में चीन ने जिस तरह अपने गांवों को स्मार्ट शहरों में बदला है, वो किसी चमत्कार से कम नहीं है। ये कहानी सिर्फ़ इमारतें खड़ी करने या सड़कें चौड़ी करने की नहीं, बल्कि एक पूरे देश की सोच, नीति और मेहनत की है, जिसने ग्रामीण इलाकों को तकनीक और तरक्की का केंद्र बना दिया। आइए, इस सफ़र को समझते हैं कि कैसे चीन ने ये कमाल किया और इसके पीछे क्या-क्या हुआ।
हर साल की तरह, इस बार भी वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की 16वीं 'एनुअल मीटिंग ऑफ़ द न्यू चैंपियंस 2025', जिसे आम तौर पर समर दावोस फ़ोरम के नाम से जाना जाता है, चीन के उत्तरी शहर थ्येनचिन में 24 से 26 जून तक होने जा रही है। इस बार इसका मुख्य विषय है "नए दौर में उद्यमिता"।
21 जून को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। इस अवसर पर चीन की राजधानी बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने एक भव्य योग सत्र का आयोजन किया, जिसमें हजारों की संख्या में प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। देखिए, यह ख़ास प्रस्तुति….
21 जून को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। इसी कड़ी में चीन की राजधानी बीजिंग भी योगमय नजर आई, जहां भारतीय दूतावास द्वारा एक भव्य और विशाल योग सत्र का आयोजन किया गया।
आकाश रावत ने चीन में योग सिखाने के अपने अनूठे अनुभवों को साझा किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे योग ने उन्हें न केवल एक नई सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में सफलतापूर्वक घुलने-मिलने में सहायता की है, बल्कि यह चीन और भारत के बीच एक मजबूत सांस्कृतिक सेतु के रूप में भी उभरा है।
दुनिया के महासागर पृथ्वी की सतह के 70% हिस्से को कवर करते हैं और हमारे मौसम, ऑक्सीजन और अरबों लोगों के जीवन का आधार बनते हैं। हालाँकि, आज ये महासागर जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि और प्रदूषण जैसे बड़े संकटों का सामना कर रहे हैं। इस स्थिति में, हर साल 8 जून को मनाया जाने वाला विश्व महासागर दिवस हमें याद दिलाता है कि अब सिर्फ़ बात करने का समय नहीं है; कार्रवाई करना ज़रूरी है।
क्या आप जानते हैं कि हमारी धरती का 70% हिस्सा महासागरों से ढका है? ये सिर्फ़ पानी नहीं, बल्कि हमारे मौसम, हमारी साँस और अरबों लोगों की ज़िंदगी का आधार हैं। पर अफ़सोस, आज हमारे महासागर जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जीवों की घटती संख्या जैसे बड़े ख़तरों का सामना कर रहे हैं। हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस मनाना सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं, बल्कि एक ज़रूरी याद दिलाता है कि अब सिर्फ़ बातें करने का नहीं, बल्कि कुछ करने का वक़्त आ गया है! न्यूज़ स्टोरी में जानिए: * विश्व महासागर दिवस की शुरुआत कब और क्यों हुई? * महासागरों को बचाने में भारत और चीन का क्या रोल है? * और सबसे ज़रूरी, हम सब मिलकर समंदर को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की हालिया रिपोर्ट और प्रतिष्ठित वैश्विक स्रोतों के गहन विश्लेषण से यह संकेत मिलता है कि अगले पांच वर्षों, यानी 2025 से 2030 के बीच, वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति काफी हद तक चीन और भारत के इर्द-गिर्द केंद्रित रहेगी। ये दोनों एशियाई दिग्गज विश्व आर्थिक वृद्धि के 'प्रमुख इंजन' के रूप में उभरने के लिए तैयार हैं।
दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियाँ अभूतपूर्व दबाव का सामना कर रही हैं। बढ़ती उम्र की आबादी, पुरानी बीमारियों का बोझ और सीमित चिकित्सा संसाधनों की वजह से अधिकांश देश जूझ रहे हैं। इन चुनौतियों के बीच, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरा है, जो न केवल इलाज को बेहतर बना सकता है, बल्कि इसे ज्यादा सुलभ और सटीक भी बना रहा है।
ड्रैगन बोट फेस्टिवल, जिसे चीन में त्वान वू फेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है, चीन का एक अत्यंत पारंपरिक और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व प्रसिद्ध चीनी कवि और देशभक्त छू य्वान की स्मृति में मनाया जाता है। हर वर्ष, यह उत्सव चीनी चंद्र कैलेंडर के अनुसार पांचवें महीने की पांचवीं तारीख को आता है।
हर साल चीन में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ड्रैगन बोट फेस्टिवल, जिसे चीनी लोग त्वान वू फेस्टिवल कहते हैं। यह दिन समर्पित है एक महान देशभक्त और कवि छू य्वान की याद में। इस दिन की सबसे खास बात होती है – तेज़ रफ्तार ड्रैगन बोट रेस, और स्वाद से भरपूर ज़ोंग्ज़ी – चिपचिपे चावल से बनी यह पारंपरिक डिश दिखने में भले समोसे जैसी लगे, लेकिन इसका स्वाद एकदम अलग होता है। लोग अपने घरों पर जड़ी-बूटियां लटकाते हैं, खुशबूदार पाउच पहनते हैं और एक दिलचस्प परंपरा निभाते हैं – दोपहर के वक्त अंडा सीधा खड़ा करने की कोशिश। मान्यता है कि अगर अंडा खड़ा हो गया, तो किस्मत साथ देगी! पहले यह त्योहार बीमारियों और बुरी आत्माओं से बचाव के लिए मनाया जाता था, लेकिन आज के समय में यह बन गया है मौज-मस्ती और फैमिली टाइम का मौका – रेस, घूमना, ज़ोंग्ज़ी गिफ्ट करना, सांस्कृतिक कार्यक्रम और ढेर सारी मस्ती के साथ। तो अगली बार जब बात हो चीन की संस्कृति की, तो इस रंगीन त्योहार को जरूर याद रखना – जहां परंपरा है, स्वाद है और ढेर सारी धमाल भी!