आज चीन ड्रोन तकनीक, इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर एनर्जी और डिजिटल पेमेंट सिस्टम में सबसे आगे है। चीन के युवा अब सिर्फ “कॉपी” नहीं, बल्कि “क्रीएट” कर रहे हैं। यही कारण है कि दुनिया अब चीन को “कॉपी कैट” नहीं, बल्कि “इनोवेशन का हब” कहने लगी है। इस पर और अधिक चर्चा करने के लिए हमारे साथ नई दिल्ली से जुड़ गई हैं चाइना बिजनेस कंसल्टेंट और चाइनीज़ भाषा की एक्सपर्ट कनिका अरोड़ा...
अगर आज आप किसी चीनी शहर की सड़कों पर निकलें— चाहे वो बीजिंग की हाईवे हों, शनचन की स्मार्ट लेन्स हों या शांगहाई का बिज़नेस ज़ोन, तो एक चीज़ तुरंत ध्यान खींचती है: सड़कों पर दौड़ती EV यानी Electric Vehicles। ऐसा लगता है जैसे पेट्रोल और डीज़ल वाली पुरानी गाड़ियाँ किसी पुरानी याद की तरह पीछे छूट गई हैं। एक समय था जब चाइना को साइकिलों का देश कहा जाता था। लेकिन आज वही चाइना दुनिया की सबसे बड़ी EV (इलेक्ट्रिक व्हीकल) शक्ति बन चुका है। यह बदलाव केवल सड़कों पर गाड़ियों के ईंधन के बदलने का नहीं, बल्कि सोच, तकनीक और दृष्टिकोण के बदलने का प्रतीक है। चलिए, आज की न्यूज़ स्टोरी में चाइना की EV क्रांति के बारे में बात करेंगे।
ज़रा सोचिए... आप एक यंग साइंटिस्ट हैं, इंजीनियर हैं या फिर किसी नए आईडिया पर जी-जान से काम कर रहे हैं। आपके अंदर पैशन कूट-कूटकर भरा है, कुछ नया करने की ज़बरदस्त चाहत है, लेकिन अभी तक किसी कंपनी से कोई ऑफ़र लेटर नहीं मिला है। अब अगर मैं आपसे कहूँ कि आप बिना किसी स्पांसर या आमंत्रण के सीधे चीन जाकर अपनी पढ़ाई, रिसर्च, इनोवेशन या बिज़नस की शुरुआत कर सकते हैं- तो कैसा लगेगा? यह कोई हवाई बात नहीं है। आज की न्यूज़ स्टोरी में हम बात करेंगे चीन के एक बहुत ही बड़े कदम- 'K' वीज़ा के बारे में, जो 1 अक्टूबर 2025 से लागू हुआ है।
शनिवार को आयोजित इस सांस्कृतिक मिलन में बीजिंग और आसपास के शहरों से आए प्रवासी भारतीय परिवार एकत्रित हुए। साथ ही, बड़ी संख्या में स्थानीय चीनी नागरिक और अन्य देशों के लोग भी इस उत्सव का हिस्सा बने, जिससे यह रात सचमुच बहु-सांस्कृतिक संगम बन गई।
आज हम उस विषय पर बात करेंगे, जिस पर अक्सर लोग चुप्पी साध लेते हैं। यह विषय है मेंटल हेल्थ, यानी मानसिक स्वास्थ्य। और आज का दिन इस पर बात करने के लिए और भी खास है क्योंकि 10 अक्टूबर को पूरी दुनिया वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाती है। इस दिन का मकसद है उस खामोशी को तोड़ना, जो लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य के चारों ओर बनी हुई है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसकी ज़रूरत क्यों है? तो चलिए, आज की न्यूज़ स्टोरी में बात करेंगे इस important topic मेंटल हेल्थ के बारे में।
क्या आपने कभी सोचा है कि चाँद को देखकर आपका मन क्यों करता है कि बस उसे देखते ही रहें? उसकी गोल, चाँदी जैसी चमक में ऐसा क्या जादू है कि हम सब उसमें खो जाते हैं? आज की न्यूज़ स्टोरी में मैं एक ऐसे ही ख़ास त्योहार की बात करने वाले हैं, जो पूरा का पूरा चाँद को समर्पित है- मध्य-शरद उत्सव यानी Mid-Autumn Festival, जिसे मून केक फ़ेस्टिवल भी कहते हैं।
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम सुनते ही सबसे पहले जो छवि मन में उभरती है, वह है एक सादा-सा कपड़ा पहने, हाथ में लाठी लिए, दयालु और दृढ़ संकल्प वाला व्यक्तित्व। गांधी जी केवल भारत के नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के थे। उनका जीवन, उनके विचार और उनकी संघर्षगाथा सीमाओं में बंधी नहीं थी। यही वजह है कि आज भी अफ्रीका से लेकर यूरोप तक, और एशिया से लेकर अमेरिका तक, उनके नाम का सम्मान किया जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि गांधी जी और चीन के बीच भी एक अनकहा रिश्ता रहा है?
बीजिंग में नए आने वाले भारतीयों के लिए शुरुआती चुनौतियाँ एक आम बात है। यह एपिसोड ऐसे ही प्रवासी भारतीयों के जीवन, संघर्षों और उनके अद्भुत समाधानों की कहानी है।
चीन की राजधानी पेइचिंग में भारतीय दूतावास ने बुधवार, 10 सितंबर को 10वाँ आयुर्वेद दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया। यह अवसर केवल भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को याद करने भर का नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य विश्व को यह संदेश देना भी था कि आयुर्वेद न केवल व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है, बल्कि पूरे ग्रह की भलाई के लिए भी महत्वपूर्ण है।
ज़रा सोचिए... धरती से जुड़ा वह पल, जब महीनों की मेहनत आखिरकार सोने जैसी फसलों में बदल जाती है। गेहूँ की बालियाँ सुनहरी हो जाती हैं, धान के खेत झूमने लगते हैं, और किसान के चेहरे पर वह मुस्कान लौट आती है, जो बरसों से सभ्यता को जीवित रखे हुए है। चीन में हर साल ऐसा ही एक दिन आता है, जब किसान और उनकी ज़िंदगी के इस अनोखे सफ़र को सम्मान दिया जाता है। इसे कहते हैं- चीनी किसानों का फ़सल उत्सव।
ज़रा सोचिए... धरती से जुड़ा वह पल, जब महीनों की मेहनत आखिरकार सोने जैसी फसलों में बदल जाती है। गेहूँ की बालियाँ सुनहरी हो जाती हैं, धान के खेत झूमने लगते हैं, और किसान के चेहरे पर वह मुस्कान लौट आती है, जो बरसों से सभ्यता को जीवित रखे हुए है। चीन में हर साल ऐसा ही एक दिन आता है, जब किसान और उनकी ज़िंदगी के इस अनोखे सफ़र को सम्मान दिया जाता है। इसे कहते हैं- चीनी किसानों का फ़सल उत्सव। चलिए, आज की न्यूज़ स्टोरी में इसी टॉपिक पर बात करेंगे....
इस मंच पर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात ने न केवल राजनीतिक हलचलों को नया आयाम दिया, बल्कि दोनों सभ्यताओं के रिश्तों को भी नई दिशा दी। ख़ास बात यह थी कि यह प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा सात साल बाद हुई, और यह मुलाक़ात उस वर्ष हुई जब दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ भी मनाई जा रही है।