इस मंच पर चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात ने न केवल राजनीतिक हलचलों को नया आयाम दिया, बल्कि दोनों सभ्यताओं के रिश्तों को भी नई दिशा दी। ख़ास बात यह थी कि यह प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा सात साल बाद हुई, और यह मुलाक़ात उस वर्ष हुई जब दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ भी मनाई जा रही है।
चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित चाइना इंटरनेशनल फेयर फॉर ट्रेड इन सर्विसेज़ (CIFTIS 2025) रविवार को संपन्न हो गया। यह सिर्फ़ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि सेवाओं के वैश्विक व्यापार में नए नियम बनाने और नवाचार को बढ़ावा देने का एक मंच साबित हुआ। इस बदलाव ने साफ़ कर दिया है कि चीन अब सिर्फ़ सेवाओं के लेन-देन तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक शासन और नियम-निर्माण में भी अपनी मजबूत भूमिका निभाने लगा है।
हाल ही में मैंने चीन की राजधानी बीजिंग के एक सिनेमा हॉल में एक चाइनीज़ फ़िल्म “शनचोउ-13” देखी और मेरा अनुभव भी बिल्कुल वैसा ही रहा। डॉक्यूमेंट्री स्टाइल में बनी यह फ़िल्म “शनचोउ-13” चीन के एक ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन पर आधारित है, जिसमें तीन चीनी अंतरिक्ष यात्रियों (Zhai Zhigang, Wang Yaping, Ye Guangfu) ने अंतरिक्ष में महीनों तक रहकर विज्ञान और तकनीक की सीमाओं को आगे बढ़ाया। फ़िल्म केवल अंतरिक्ष की यात्रा का रोमांच नहीं दिखाती, बल्कि यह इंसानी हिम्मत, त्याग और टीमवर्क की भी गहरी झलक देती है।
भारत और चीन जैसे प्राचीन सभ्यता वाले देशों में शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने वाला व्यक्ति नहीं, बल्कि मार्गदर्शक, गुरु और समाज निर्माता माना गया है। दोनों देशों की परंपराओं में शिक्षक की भूमिका बहुत गहरी है।
हाल ही में मैंने सिनेमा हॉल में शनचोउ-13 फ़िल्म देखी और यह अनुभव बिल्कुल वैसा ही रहा। डॉक्यूमेंट्री शैली की यह फ़िल्म चीन के एक ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन पर आधारित है, जिसमें तीन चीनी अंतरिक्ष यात्रियों (चाई चिकांग, वांग याफिंग, ये क्वांगफ़ू) ने अंतरिक्ष में महीनों तक रहकर विज्ञान और तकनीक की सीमाओं को आगे बढ़ाया।
डॉक्टर द्वारकानाथ शांताराम कोटनिस... ये नाम चीन की जनता बड़े गर्व और सम्मान से लेती है। 83 साल पहले उनका निधन हो गया था, लेकिन आज भी चीन के लोग उन्हें याद करते हैं। वजह सिर्फ़ इतनी नहीं कि वो एक डॉक्टर थे, बल्कि इसलिए कि उन्होंने अपना जीवन इंसानियत और दोस्ती को समर्पित कर दिया था। चीन में उन्हें आज भी भारत-चीन दोस्ती का प्रतीक माना जाता है। आज जब चीन जापानी आक्रमण के खिलाफ अपने प्रतिरोध की विजय की 80वीं वर्षगांठ मना रहा है, तो कोटनिस की याद और भी गहरी हो जाती है। उनकी कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है... जुनून, संघर्ष, त्याग और अमर दोस्ती से भरी हुई है। चलिए आज के न्यूज़ स्टोरी में जानते हैं- कौन थे डॉ. कोटनिस? वो चीन कैसे पहुँचे? और क्यों आज भी चीन उन्हें अपना हीरो मानता है?
कुछ कहानियाँ इतनी दर्दनाक होती हैं कि उन्हें सुनाना भी मुश्किल होता है। कुछ जख्म इतने गहरे होते हैं कि समय भी उन्हें भर नहीं पाता। आज से 80 साल पहले, दुनिया के एक हिस्से में इंसानों पर ऐसी हैवानियत हुई थी कि उसे सुनकर आज भी रूह कांप जाती है।
शांगहाई सहयोग संगठन (SCO) का 2025 का शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक उत्तरी चीन के थ्येनचिन शहर में आयोजित होने वाला है। चीन 5वीं बार इस शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर रहा है, और यह संगठन की स्थापना के बाद से अब तक का सबसे बड़ा आयोजन है। इस सम्मेलन में 20 से ज़्यादा देशों के नेता और 10 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन का एजेंडा काफी महत्वपूर्ण है। सदस्य देश सुरक्षा, आर्थिक विकास और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए साझा रणनीतियों पर चर्चा करेंगे। आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद जैसे खतरों से निपटने के उपायों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस पर और ज्यादा चर्चा करने के लिए हमारे साथ जुड़ गये हैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह, जो देशबंधु कॉलेज में 'ग्लोबल पॉलिटिक्स' पढ़ाते हैं, साथ ही उनकी अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर विशेष पकड़ भी है।
चाइना मीडिया ग्रुप के सीजीटीएन हिन्दी चैनल से बातचीत में दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज में 'ग्लोबल पॉलिटिक्स' पढ़ाने वाले प्रोफेसर डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने आगामी शांगहाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के महत्व पर विस्तार से विचार साझा किए।
हाल के सालों में भारत और चीन के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। लेकिन 18-19 अगस्त, 2025 को चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा ने इन रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक बड़ा मोड़ दिया है। ये दौरा ऐसे वक्त पर हुआ जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और आर्थिक मतभेद अभी भी बड़ी चुनौतियां बने हुए थे।
साल 2025 को "शांगहाई सहयोग संगठन (SCO) का सतत विकास वर्ष" घोषित किया गया है। चीन, जो 2024-2025 में SCO की की रोटेटिंग प्रेसिडेंसी संभाल रहा है, ने सदस्य देशों के साथ गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, वित्तीय विकास, जलवायु परिवर्तन, हरित विकास, डिजिटल इकोनॉमी और कनेक्टिविटी जैसे मुख्य क्षेत्रों में सहयोग की कई पहलें शुरू की हैं।
अगस्त 2025 में चीन की राजधानी पेइचिंग में एक ऐसा इवेंट हुआ जिसने विज्ञान, तकनीक और मनोरंजन को एक साथ लाकर भविष्य की एक झलक पेश की। यह था पहला वर्ल्ड ह्यूमनॉइड रोबोट गेम्स, जहाँ इंसानों जैसे रोबोट्स ने खेल के मैदान में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। चलिए, आज की न्यूज़ स्टोरी में आपको ले चलता हूं रोबोट गेम्स के महाकुंभ में जहां आप जान पाएंगे कि चीन ने कैसे दिखाई भविष्य की झलक