चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना की शुरुआत साल 2021 में हुई थी और यह इस साल, 2025 में खत्म हो रही है। यह योजना देश के अगले पाँच साल के विकास की राह दिखाती है। इसका मकसद सिर्फ तेज़ आर्थिक वृद्धि हासिल करना नहीं है, बल्कि समझदारी और संतुलन के साथ आगे बढ़ना है। इस योजना में विज्ञान और तकनीक पर खास जोर दिया गया है, ताकि चीन आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ सके। इसका मुख्य लक्ष्य लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना और साल 2035 तक चीन को एक आधुनिक और मज़बूत देश के रूप में खड़ा करना है। इस विषय पर और गहराई से बात करने के लिए हमारे साथ जुड़े हैं इंडिया-चाइना इकोनॉमिक एंड कल्चरल काउंसिल के सेक्रेटरी जनरल मोहम्मद साकिब।
अगर आप आज किसी चीनी शहर की सड़क पर निकलें, चाहे बीजिंग की तेज़ रफ्तार हाईवे, शनचन की स्मार्ट लेन या शांगहाई के बिज़नेस ज़ोन में, तो एक बात तुरंत नज़र आती है: सड़कों पर दौड़ती इलेक्ट्रिक कारें। पेट्रोल और डीज़ल की गाड़ियाँ अब पीछे छूटती यादों जैसी लगती हैं। एक समय था जब चीन को “साइकिलों का देश” कहा जाता था, और आज वही देश दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माता और उपभोक्ता बन चुका है। यह सिर्फ गाड़ियों का बदलाव नहीं, बल्कि सोच और नीतियों के नए दौर की कहानी है।
“समन्वय” चीन की नई विकास नीति का एक बहुत जरूरी हिस्सा है, और यह बात कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की केंद्रीय समिति द्वारा स्वीकृत राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 15वीं पंचवर्षीय योजना तैयार करने संबंधी सिफारिशों में पूरी तरह झलकती है। यह सिफारिशें पार्टी की 20वीं केंद्रीय समिति के चौथे पूर्ण अधिवेशन में अपनाई गईं।
आज चीन ड्रोन तकनीक, इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर एनर्जी और डिजिटल पेमेंट सिस्टम में सबसे आगे है। चीन के युवा अब सिर्फ “कॉपी” नहीं, बल्कि “क्रीएट” कर रहे हैं। यही कारण है कि दुनिया अब चीन को “कॉपी कैट” नहीं, बल्कि “इनोवेशन का हब” कहने लगी है। इस पर और अधिक चर्चा करने के लिए हमारे साथ नई दिल्ली से जुड़ गई हैं चाइना बिजनेस कंसल्टेंट और चाइनीज़ भाषा की एक्सपर्ट कनिका अरोड़ा...
अगर आज आप किसी चीनी शहर की सड़कों पर निकलें— चाहे वो बीजिंग की हाईवे हों, शनचन की स्मार्ट लेन्स हों या शांगहाई का बिज़नेस ज़ोन, तो एक चीज़ तुरंत ध्यान खींचती है: सड़कों पर दौड़ती EV यानी Electric Vehicles। ऐसा लगता है जैसे पेट्रोल और डीज़ल वाली पुरानी गाड़ियाँ किसी पुरानी याद की तरह पीछे छूट गई हैं। एक समय था जब चाइना को साइकिलों का देश कहा जाता था। लेकिन आज वही चाइना दुनिया की सबसे बड़ी EV (इलेक्ट्रिक व्हीकल) शक्ति बन चुका है। यह बदलाव केवल सड़कों पर गाड़ियों के ईंधन के बदलने का नहीं, बल्कि सोच, तकनीक और दृष्टिकोण के बदलने का प्रतीक है। चलिए, आज की न्यूज़ स्टोरी में चाइना की EV क्रांति के बारे में बात करेंगे।
ज़रा सोचिए... आप एक यंग साइंटिस्ट हैं, इंजीनियर हैं या फिर किसी नए आईडिया पर जी-जान से काम कर रहे हैं। आपके अंदर पैशन कूट-कूटकर भरा है, कुछ नया करने की ज़बरदस्त चाहत है, लेकिन अभी तक किसी कंपनी से कोई ऑफ़र लेटर नहीं मिला है। अब अगर मैं आपसे कहूँ कि आप बिना किसी स्पांसर या आमंत्रण के सीधे चीन जाकर अपनी पढ़ाई, रिसर्च, इनोवेशन या बिज़नस की शुरुआत कर सकते हैं- तो कैसा लगेगा? यह कोई हवाई बात नहीं है। आज की न्यूज़ स्टोरी में हम बात करेंगे चीन के एक बहुत ही बड़े कदम- 'K' वीज़ा के बारे में, जो 1 अक्टूबर 2025 से लागू हुआ है।
शनिवार को आयोजित इस सांस्कृतिक मिलन में बीजिंग और आसपास के शहरों से आए प्रवासी भारतीय परिवार एकत्रित हुए। साथ ही, बड़ी संख्या में स्थानीय चीनी नागरिक और अन्य देशों के लोग भी इस उत्सव का हिस्सा बने, जिससे यह रात सचमुच बहु-सांस्कृतिक संगम बन गई।
आज हम उस विषय पर बात करेंगे, जिस पर अक्सर लोग चुप्पी साध लेते हैं। यह विषय है मेंटल हेल्थ, यानी मानसिक स्वास्थ्य। और आज का दिन इस पर बात करने के लिए और भी खास है क्योंकि 10 अक्टूबर को पूरी दुनिया वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाती है। इस दिन का मकसद है उस खामोशी को तोड़ना, जो लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य के चारों ओर बनी हुई है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसकी ज़रूरत क्यों है? तो चलिए, आज की न्यूज़ स्टोरी में बात करेंगे इस important topic मेंटल हेल्थ के बारे में।
क्या आपने कभी सोचा है कि चाँद को देखकर आपका मन क्यों करता है कि बस उसे देखते ही रहें? उसकी गोल, चाँदी जैसी चमक में ऐसा क्या जादू है कि हम सब उसमें खो जाते हैं? आज की न्यूज़ स्टोरी में मैं एक ऐसे ही ख़ास त्योहार की बात करने वाले हैं, जो पूरा का पूरा चाँद को समर्पित है- मध्य-शरद उत्सव यानी Mid-Autumn Festival, जिसे मून केक फ़ेस्टिवल भी कहते हैं।
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम सुनते ही सबसे पहले जो छवि मन में उभरती है, वह है एक सादा-सा कपड़ा पहने, हाथ में लाठी लिए, दयालु और दृढ़ संकल्प वाला व्यक्तित्व। गांधी जी केवल भारत के नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के थे। उनका जीवन, उनके विचार और उनकी संघर्षगाथा सीमाओं में बंधी नहीं थी। यही वजह है कि आज भी अफ्रीका से लेकर यूरोप तक, और एशिया से लेकर अमेरिका तक, उनके नाम का सम्मान किया जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि गांधी जी और चीन के बीच भी एक अनकहा रिश्ता रहा है?
बीजिंग में नए आने वाले भारतीयों के लिए शुरुआती चुनौतियाँ एक आम बात है। यह एपिसोड ऐसे ही प्रवासी भारतीयों के जीवन, संघर्षों और उनके अद्भुत समाधानों की कहानी है।
चीन की राजधानी पेइचिंग में भारतीय दूतावास ने बुधवार, 10 सितंबर को 10वाँ आयुर्वेद दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया। यह अवसर केवल भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को याद करने भर का नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य विश्व को यह संदेश देना भी था कि आयुर्वेद न केवल व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है, बल्कि पूरे ग्रह की भलाई के लिए भी महत्वपूर्ण है।