भारत और चीन के आधुनिक इतिहास में एक रोचक समानता देखने को मिलती है। भारत ने 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की और ठीक उसके दो वर्ष बाद, 1949 में, चीन में साम्यवादी क्रांति सफल हुई।
दस और ग्यारह दिसंबर को हुए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति की केंद्रीय आर्थिक वर्क कांफ्रेंस में अगले साल यानी 2026 के लिए जो आर्थिक खांचा और लक्ष्य तय किया गया है, वह एक तरह से वैश्विक चुनौतियों से निबटने क लिए ठोस उपायों की जरूरत पर ही जोर देता है।
"लोगों के लिए उपलब्धियां हासिल करने पर जोर दें"—चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के महासचिव शी चिनफिंग द्वारा केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन में दिया गया यह बयान चीन के आर्थिक विकास और जनता के कल्याण के गहन एकीकरण के मूल तर्क को सरल और सशक्त रूप से स्पष्ट करता है।
आजकल भारत में एक हिंदी फिल्म“120 बहादुर”का प्रदर्शन जा रहा है। इस फिल्म का दावा है कि वह एक अविश्वसनीय सच्ची कहानी पर आधारित है ,लेकिन इतिहास के तथ्यों से साबित हुआ कि यह मनमाने ढंग से बनाया गया एक झूठा किस्सा है,जिसने काले को सफेद बताया और दर्शकों को गंभीर रूप से भ्रमित किया।
कुछ ही दिन पहले, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया और जापान सहित कई सहयोगियों के साथ वाशिंगटन में आयोजित "पैक्स सिलिका" शिख सम्मेलन के दौरान "पैक्स सिलिका" नामक एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। इस घोषणापत्र का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों और अर्धचालकों से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता अवसंरचना तक, सभी क्षेत्रों को कवर करते हुए एक "विश्वसनीय" आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली का निर्माण करना है। यूरोपीय संघ ने भी पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया।
चीन एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की केंद्रीय समिति का कार्य सम्मेलन दिसंबर में आयोजित हुआ ।
भारत और चीन के इतिहास में कुछ समानताएं जुड़ी हैं। इसे संयोग ही कहेंगे कि भारत को अंग्रेजी राज से आजादी साल 1947 में मिली और चीन में 1949 में साम्यवादी क्रांति हुई। भारत पहला गैर समाजवादी देश रहा, जिसने साम्यवादी चीन को राजनयिक मान्यता दी।
हाल ही में आयोजित चीन के केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन ने वर्ष 2026 के लिए आर्थिक कार्यों की दिशा स्पष्ट कर दी है। सम्मेलन में यह निर्धारित किया गया कि आने वाले वर्ष में चीन "स्थिरता बनाए रखते हुए प्रगति की तलाश" को अपना बुनियादी मार्गदर्शक सिद्धांत बनाएगा, साथ ही आर्थिक गुणवत्ता और दक्षता में सुधार को प्रमुख लक्ष्य के रूप में आगे बढ़ाएगा।
वर्तमान में, बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद और लगातार भू-राजनीतिक संघर्षों के बीच, दुनिया को विकास की प्रेरित शक्ति की सख्त जरूरत है। चीन लंबे समय से वैश्विक आर्थिक विकास का "स्टेबलाइजर" रहा है।