चीन की राजधानी पेइचिंग में इस सप्ताहांत गणेशोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया और गणपति बप्पा की धूम रही। इस समारोह में मराठी कम्युनिटी के लोगों के साथ-साथ अन्य प्रवासी भारतीयों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
हाल के दशकों में हुए तमाम संघर्षों को देखें या इतिहास में हुई लड़ाईयों को। युद्ध और संघर्ष से आम नागरिकों का जीवन तबाह हो गया और उनके मानवाधिकारों का हनन हुआ। बच्चों और महिलाओं को युद्ध की विभीषिका सबसे अधिक सहनी पड़ी।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ सम्मेलन के इतर बैठक की, जो कि लगभग एक घंटे तक चली। इस दौरान दोनों नेताओं ने हाल के समय में संबंध सुधारने को लेकर हुई कोशिशों और प्रयासों का उल्लेख किया।
शांगहाई सहयोग संगठन यानी एससीओ शिखर बैठक में हिस्सा लेने चीन पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत हुआ। थ्येनचिन एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी के लिए चीनी अधिकारी मौजूद रहे, जबकि चीनी बच्चों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
चीन के विभिन्न शहरों में भारत का 79वां स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान राजधानी पेइचिंग स्थित दूतावास, शांगहाई, क्वांगचो व हांगकांग कांसुलेट आदि में आज़ादी के उत्सव पर समारोह का आयोजन किया गया। जिनमें भारतीय राजदूत प्रदीप रावत के अलावा शांगहाई में कौंसुलर जनरल व क्वांगचो स्थित कौंसुलर जनरल ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया। साथ ही इस मौके कई रंगारंग कार्यक्रम हुए, जिनमें देशभक्ति गीतों के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी शामिल रहीं। 15 अगस्त के इस ऐतिहासिक अवसर पर पेइचिंग दूतावास के साथ-साथ शांगहाई व क्वांगचो कांसुलेट द्वारा भारतीय समुदाय के लोगों को सांस्कृतिक और सामाजिक सेवा कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए सम्मानित किया गया। इस दौरान वर्ष 2025 में क्वांगचो कांसुलेट की विभिन्न पहलों में सहयोग देने और भाग लेने के लिए कांसुलेट जनरल शंभू हक्की द्वारा पूरण एल.जेसवानी को प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चीन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोग काफी उत्साहित दिखे।
चीन के हर प्रांत और शहर में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक झलक ज़रूर मिलती है। जो सीधे तौर पर्यटन के साथ जुड़ती है। चच्यांग प्रांत के हांगचो की बात करें तो यहाँ पर एक प्रसिद्ध पगोडा है। लेइफ़ंग नाम का यह पगोडा न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि प्राकृतिक संरक्षण का भी एक अहम उदाहरण है।
चीन में आए दिन कुछ न कुछ नयापन देखने में आता है। जाहिर है कि चीनी लोग नई तकनीकों का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं रहते। अब बुजुर्गों की देखभाल और सेवा करने के लिए भी स्मार्ट तकनीक का प्रयोग हो रहा है।
चीन भले ही आज विकास की तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, लेकिन उसकी सभ्यता और संस्कृति हज़ारों साल पुरानी है। चीन में अपनी सभ्यता और वैश्विक सभ्यताओं को जोड़ने और एक-दूसरे से सीखने की कोशिश हो रही है। यह वाकई में बहुत सराहनीय पहल है, क्योंकि आधुनिकता के इस दौर में भी हमें जड़ों को नहीं भूलना चाहिए।
चीन में अकसर हम आधुनिक यातायात संसाधनों के बारे में बात करते हैं। जिसमें तेज गति की ट्रेनों और महंगी कारों की चर्चा अकसर होती है। साथ ही मैग्लेव व चीन द्वारा तैयार बड़े विमान भी विश्व का ध्यान आकर्षित करते हैं।