चीन एक बड़ी आबादी वाला देश है, ऐसे में चीन में ऊर्जा की खपत बहुत ज्यादा होती है। लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना आसान नहीं है। हालांकि पहले इसके लिए विभिन्न तरह के ऊर्जा संसाधनों का उपयोग होता रहा है। जिसमें जीवाष्म ईंधन वाली ऊर्जा का इस्तेमाल भी शामिल था, लेकिन हाल के वर्षों में चीन ने इसे पूरी तरह बदल दिया है।
चीन एक कृषि प्रधान देश है, जो भारी मात्रा में अनाज उत्पादन करता है। हालांकि विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के चलते मुश्किलें भी पेश आती हैं। बाढ़, सूखा व सुनामी जैसी आपदाओं ने चीन के साथ-साथ भारत और अन्य देशों को परेशान कर रखा है। जबकि खाद्य सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है।
अमेरिका ने चीन, वियतनाम, मैक्सिको और भारत सहित तमाम देशों के खिलाफ़ भारी टैरिफ लगाकर वैश्विक संकट खड़ा कर दिया है। तीसरी दुनिया के देशों के साथ हो रहे भेदभाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मनमानी पर उतर आए हैं। इस बारे में सीजीटीएन संवाददाता अनिल पांडेय ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. सुधीर सिंह के साथ विस्तार से चर्चा की।
एआई से दुनिया बदल रही है, विभिन्न क्षेत्रों में इसके इस्तेमाल से व्यापक परिवर्तन हो रहा है। जाहिर है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शिक्षा, परिवहन, विज्ञान और स्वास्थ्य में भूमिका अहम होती जा रही है। जिस समस्या को हल करने में लंबा समय लगता था, अब एआई से बहुत जल्द उसका निदान हो सकता है।
चीन और भारत के रिश्ते सदियों से चले आ रहे हैं। हाल के वर्षों में संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद बेहतर रिश्तों की उम्मीद बनी हुई है, जो पिछले कुछ महीनों से साफ नजर आ रही है। विशेष रूप से दोनों देशों के प्रमुख नेताओं की रूस के कज़ान में मुलाकात के बाद। इस बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पॉडकास्ट में इंटरव्यू के दौरान चीन को लेकर सकारात्मक टिप्पणी की है।
मौसम की सटीक भविष्यवाणी करना आज के दौर में काफी अहम हो गया है। विभिन्न देश उपग्रहों और रडारों के सहारे इस चुनौती से निपट रहे हैं। मसलन बारिश, तूफान और सुनामी आदि के बारे में सही अनुमान लगाना मौसम विज्ञान के जरिए संभव हो सका है। मौसम विज्ञान के क्षेत्र में हुई तरक्की के कारण मौसम संबंधी आपदाओं से होने वाले जान-माल के नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।
अमेरिका सरकार ने विश्व के कई देशों के खिलाफ टैरिफ वार छेड़ रखा है। उन्होंने चीन, कनाडा व मैक्सिको को प्रमुख रूप से निशाना बनाया है। इन तीनों देशों के विरुद्ध अमेरिका ने टैरिफ में भारी इजाफा किया है। अमेरिका के हितों को सर्वोपरि रखने का दावा करने वाले ट्रंप वैश्विक अर्थव्यवस्था को डांवांडोल करने पर तुले हुए हैं।
चीन और भारत न केवल बड़े विकासशील देश हैं, बल्कि एक-दूसरे के पड़ोसी भी हैं। हाल के वर्षों में दोनों ने तकनीक पर ज़ोर देने के साथ-साथ हरित राष्ट्र के निर्माण में भी काम किया है। दोनों देशों की सरकारें स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही हैं। इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जानकार कहते हैं कि यह संतुलित विकास करने का एक अच्छा मॉडल है।
चीन की राजधानी पेइचिंग में एनपीसी और सीपीपीसीसी दो सत्रों का आयोजन हुआ। इस दौरान विभिन्न नीतियां, मसौदे और प्रस्ताव पारित किए गए। विशेष रूप से आर्थिक स्थिरता और खुलेपन पर व्यापक लोगों ने ध्यान दिया है। चीन ने वर्ष 2025 के लिए 5 फीसदी का विकास लक्ष्य रखा है, जिसे हासिल करना मुश्किल नहीं होगा।
चीन में आयोजित हुए महत्वपूर्ण दो सत्रों पर समूचे विश्व का ध्यान लगा हुआ है। इसके दौरान आर्थिक विकास और खुलेपन के साथ-साथ तकनीकी नवाचार पर जोर दिया गया।